1. बुजुर्ग पूजनीय और वट वृक्ष की तरह क्यों होते हैं? 2. आज की युवा पीढ़ी बुजुर्गों का सम्मान करना नहीं चाहती है? क्यों?
3. इंसान को कब अपने– पराए का बोध होता है?
4. कोई भी व्यक्ति किस परिस्थिति में विषाद से भर जाता है? इस परिस्थिति में उसे क्या-क्या करना चाहिए?
please answer the question correctly and in 60 -70 words .
please answer all the questions please please answer all question if you don't know the answer please don't answer for points
please I'm begging please
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1. बुजुर्ग पूजनीय होते हैं क्योंकि वे जीवन की अद्वितीय अनुभवों के धारक होते हैं, जिनसे हम सीखते हैं। वे समझदारी, अनुभव, और सामजिक संदेशों के रूप में हमारे लिए महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे वट वृक्ष जीवन के लक्ष्य को सांदर्भिकता देता है।
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2. आज की युवा पीढ़ी बुजुर्गों का सम्मान कम कर सकती है क्योंकि आधुनिक जीवनशैली में उनके अनुभव को महत्वपूर्ण नहीं मानती है और वे तकनीकी युग की मांगों के साथ नहीं आते।
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3. इंसान अपने-पराए का बोध कभी-कभी जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं के साथ होता है, जैसे कोई संघर्ष या परिवर्तन, जो उन्हें अपनी असली दरिया के आस-पास के मानचित्र को समझने की दिशा में मदद करता है।
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4. किसी भी परिस्थिति में विषाद से बाहर आने के लिए व्यक्ति को सकारात्मक दिशा में सोचना चाहिए। वे अपने संकटों का सामना करने के लिए सहानुभूति, सहयोग, और आत्म-संश्रद्धा का सहारा ले सकते हैं।