1 इंच एवं 2 इंच व्यास तथा 6 इंच लंबाई के दो बेलनाकार आधार गत्ते से बनाइए । विद्युतरूद्ध तांबे के तार को सटा- सटा कर लपेटते हुए गत्ते के आधारों पर कुण्डलिया बनाइए। 50,100,200 फेरो के बाद सिरे निकालिए! उपयुक्त दूरी पर एक चुम्बकीय सुई रखिए !
पहली कुंडली लीजिए। इसके 50 फेरों के बीच बैटरी जोड़िए और चुम्बकीय सुई का विक्षेप नोट कीजिए। 100 फेरो, 200 फेरों ..... आदि के साथ प्रयोग दोहराइए
दूसरी कुंडली लेकर प्रयोग दोहराइए !
अब 6 इंच लंबी कीलों को कुंडली में भरिए और प्रयोग दोहराइए!
अब निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. विद्युत चुंबक की शक्ति पर इसमें फेरों की संख्या बढ़ाने का क्या प्रभाव होता है ?
2. विद्युत चुंबक की शक्ति पर परिछेद का क्षेत्रफल बढ़ाने का क्या प्रभाव होता है ?
3. विधुत चुंबक के कोड में मृदु लौहे की उपस्थिति का इसकी शक्ति पर क्या प्रभाव होता है ?
4. कुंडली मे धारा बढ़ाने का विद्युत चुंबक की शक्ति पर क्या प्रभाव होता है ?
5. क्या कीलें कुछ समय बाद चुंबक बन जाती है ?
(Please Note Need Figure for answer)
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