संस्कृत भाषा में वैसे तो अनेक पुल्लिग शब्द होते हैं; जैसे-बालक, कपि, साधु, भ्राता, पितृ आदि, लेकिन हम इस पाठ में अकारान्त पुल्लिग शब्दों के बारे में पढ़ेंगे। प्रकार के होते हैं; जैसे-लता, मति, वधू, नदी आदि, परन्तु इस पाठ में हम केवल आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों तीनों वचनों के बारे में पढ़ेंगे।
लिंग का अभिप्राय भाषा की ऐसी अनुकूल परिस्थितियों से है, जो वाक्य के कर्ता के अनुसार बदल जाते हैं। विश्व की लगभग सभी भाषाओं में किसी न किसी प्रकार की लिंग व्यवस्था होती है। हिंदी में दो लिंग होते हैं
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संस्कृत भाषा में वैसे तो अनेक पुल्लिग शब्द होते हैं; जैसे-बालक, कपि, साधु, भ्राता, पितृ आदि, लेकिन हम इस पाठ में अकारान्त पुल्लिग शब्दों के बारे में पढ़ेंगे। प्रकार के होते हैं; जैसे-लता, मति, वधू, नदी आदि, परन्तु इस पाठ में हम केवल आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों तीनों वचनों के बारे में पढ़ेंगे।
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लिंग का अभिप्राय भाषा की ऐसी अनुकूल परिस्थितियों से है, जो वाक्य के कर्ता के अनुसार बदल जाते हैं। विश्व की लगभग सभी भाषाओं में किसी न किसी प्रकार की लिंग व्यवस्था होती है। हिंदी में दो लिंग होते हैं