आज हम सब यहाँ हमारी कंपनी में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर/श्रम/श्रमिक दिवस मनाने के लिए इकट्ठे हुए हैं। यह सालाना 1 मई को मनाया जाता है ताकि संगठन में मज़दूरों की शक्ति, स्थिति, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बावजूद उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण को याद किया जा सके। मजदूर/श्रम/श्रमिक दिवस श्रमिकों की सामाजिक और आर्थिक उपलब्धियों को सम्मान देना है। मजदूर/श्रम दिवस को 'मई दिवस' या अंतर्राष्ट्रीय कार्यकर्ता दिवस के रूप में भी जाना जाता है और इसे लगभग 80 देशों में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। यह आदर्श रूप से देश की समृद्धि, शक्ति और कल्याण को सुनिश्चित करने वाले श्रमिकों की भक्ति और योगदान के प्रति वार्षिक और राष्ट्रीय स्वीकृति का गठन करता है।
हमारे संगठन के लिए हर कर्मचारी की कड़ी मेहनत का महत्व बहुत ज्यादा है तथा हम उन्हें समान अधिकार देने में विश्वास रखते हैं। मैं लगभग 35 वर्षों से इस कंपनी से जुड़ा हुआ हूं और मुझे आज तक एक भी ऐसी समस्या या शिकायत नहीं मिली है जो मज़दूरों के अधिकारों के दमन से संबंधित हो।
चूंकि हमारे संगठन में कई नई नियुक्तियां हुई हैं जो आज यहाँ मौजूद भी हैं तो मैं मजदूर/श्रम दिवस की उत्पत्ति के बारे में संक्षिप्त जानकारी देना चाहता हूं। मई दिवस या मजदूर/श्रम दिवस संयुक्त राज्य अमेरिका श्रमिक संघ आंदोलन से 19वीं सदी के उत्तरार्ध में शुरु हुआ जिसमें प्रति दिन आठ घंटे काम करने की वकालत की गई। चूंकि उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध की परिस्थियाँ कार्यरत मजदूरों के लिए दयनीय और असुरक्षित थी इसलिए उन्हें प्रति दिन लगभग 12-16 घंटे काम करना पड़ता था। 1884 में फेडरेशन ऑफ ऑर्गनाइज्ड ट्रेड्स एंड लेबर यूनियन (FOLTU) ने एक संकल्प पारित किया कि 1 मई, 1886 से 8 घंटे का कार्यकाल कानूनी रूप से कार्य करने के लिए मान्य होगा। कार्यरत श्रमिक कई आंदोलनों, हमलों आदि द्वारा आठ घंटों के कार्यदिवस की मांग कर रहे थे। पांच साल बाद 1 मई को एक समाजवादी संगठन द्वारा राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता दी गई और धीरे-धीरे कई देशों ने इस संस्कृति को अपनाया।
मई डे को विशुद्ध रूप से श्रमिकों द्वारा संगठन की भलाई के लिए किए गए योगदान और इसके परिणामस्वरूप हमारे समाज को सम्मान और श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। लेकिन आज मजदूर/श्रम दिवस एक श्रमिक संघ उत्सव के रूप में विकसित हुआ है जो इस दिन के गहरे और सच्चे महत्व को खो रहा है।
हालांकि हमारी संस्था श्रमिकों के अधिकारों को बख़ूबी पहचानती है जिन्हें कर्मचारियों के रूप में भी जाना जाता है लेकिन कई कंपनियां हैं जो वास्तव में कर्मचारियों से बेहिसाब काम लेती हैं। हालांकि मजदूर/श्रम दिवस को प्रति दिन 8 घंटे काम करने के लिए लागू करने के लिए शुरू किया गया था लेकिन संगठन में कार्यरत एक कर्मचारी के भी अधिकार हैं। यह महत्वपूर्ण है कि संगठन केवल लाभ पैदा करने के इरादे से ही संचालित नहीं होना चाहिए बल्कि इसे अपने कर्मचारियों की आवश्यकताओं और जरूरतों का ध्यान भी रखना चाहिए जिनके बिना कंपनी अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकती है। साथ ही मजदूरों या कर्मचारियों को भी अपने संगठन की कार्य संस्कृति का सम्मान करना चाहिए और संगठन की आचार संहिता के अंतर्गत रहना चाहिए जिनके साथ वे काम कर रहे हैं।
मजदूर/श्रम दिवस निश्चित रूप से मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करता है और कर्मचारियों को अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए प्रबंधन को धमकी देने के हथियार के रूप में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए तभी तो मजदूर/श्रम दिवस का उद्देश्य पूरा होगा।
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भाई थोड़ा लेट हो गया माफ करना
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सुप्रभात मित्रों।
आज हम सब यहाँ हमारी कंपनी में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर/श्रम/श्रमिक दिवस मनाने के लिए इकट्ठे हुए हैं। यह सालाना 1 मई को मनाया जाता है ताकि संगठन में मज़दूरों की शक्ति, स्थिति, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बावजूद उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण को याद किया जा सके। मजदूर/श्रम/श्रमिक दिवस श्रमिकों की सामाजिक और आर्थिक उपलब्धियों को सम्मान देना है। मजदूर/श्रम दिवस को 'मई दिवस' या अंतर्राष्ट्रीय कार्यकर्ता दिवस के रूप में भी जाना जाता है और इसे लगभग 80 देशों में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। यह आदर्श रूप से देश की समृद्धि, शक्ति और कल्याण को सुनिश्चित करने वाले श्रमिकों की भक्ति और योगदान के प्रति वार्षिक और राष्ट्रीय स्वीकृति का गठन करता है।
हमारे संगठन के लिए हर कर्मचारी की कड़ी मेहनत का महत्व बहुत ज्यादा है तथा हम उन्हें समान अधिकार देने में विश्वास रखते हैं। मैं लगभग 35 वर्षों से इस कंपनी से जुड़ा हुआ हूं और मुझे आज तक एक भी ऐसी समस्या या शिकायत नहीं मिली है जो मज़दूरों के अधिकारों के दमन से संबंधित हो।
चूंकि हमारे संगठन में कई नई नियुक्तियां हुई हैं जो आज यहाँ मौजूद भी हैं तो मैं मजदूर/श्रम दिवस की उत्पत्ति के बारे में संक्षिप्त जानकारी देना चाहता हूं। मई दिवस या मजदूर/श्रम दिवस संयुक्त राज्य अमेरिका श्रमिक संघ आंदोलन से 19वीं सदी के उत्तरार्ध में शुरु हुआ जिसमें प्रति दिन आठ घंटे काम करने की वकालत की गई। चूंकि उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध की परिस्थियाँ कार्यरत मजदूरों के लिए दयनीय और असुरक्षित थी इसलिए उन्हें प्रति दिन लगभग 12-16 घंटे काम करना पड़ता था। 1884 में फेडरेशन ऑफ ऑर्गनाइज्ड ट्रेड्स एंड लेबर यूनियन (FOLTU) ने एक संकल्प पारित किया कि 1 मई, 1886 से 8 घंटे का कार्यकाल कानूनी रूप से कार्य करने के लिए मान्य होगा। कार्यरत श्रमिक कई आंदोलनों, हमलों आदि द्वारा आठ घंटों के कार्यदिवस की मांग कर रहे थे। पांच साल बाद 1 मई को एक समाजवादी संगठन द्वारा राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता दी गई और धीरे-धीरे कई देशों ने इस संस्कृति को अपनाया।
मई डे को विशुद्ध रूप से श्रमिकों द्वारा संगठन की भलाई के लिए किए गए योगदान और इसके परिणामस्वरूप हमारे समाज को सम्मान और श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। लेकिन आज मजदूर/श्रम दिवस एक श्रमिक संघ उत्सव के रूप में विकसित हुआ है जो इस दिन के गहरे और सच्चे महत्व को खो रहा है।
हालांकि हमारी संस्था श्रमिकों के अधिकारों को बख़ूबी पहचानती है जिन्हें कर्मचारियों के रूप में भी जाना जाता है लेकिन कई कंपनियां हैं जो वास्तव में कर्मचारियों से बेहिसाब काम लेती हैं। हालांकि मजदूर/श्रम दिवस को प्रति दिन 8 घंटे काम करने के लिए लागू करने के लिए शुरू किया गया था लेकिन संगठन में कार्यरत एक कर्मचारी के भी अधिकार हैं। यह महत्वपूर्ण है कि संगठन केवल लाभ पैदा करने के इरादे से ही संचालित नहीं होना चाहिए बल्कि इसे अपने कर्मचारियों की आवश्यकताओं और जरूरतों का ध्यान भी रखना चाहिए जिनके बिना कंपनी अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकती है। साथ ही मजदूरों या कर्मचारियों को भी अपने संगठन की कार्य संस्कृति का सम्मान करना चाहिए और संगठन की आचार संहिता के अंतर्गत रहना चाहिए जिनके साथ वे काम कर रहे हैं।
मजदूर/श्रम दिवस निश्चित रूप से मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करता है और कर्मचारियों को अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए प्रबंधन को धमकी देने के हथियार के रूप में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए तभी तो मजदूर/श्रम दिवस का उद्देश्य पूरा होगा।
धन्यवाद।