सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता "झूँसी की रानी" में सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के समय की बात है। उस समय अंग्रेजों ने देश की विभिन्न रियासतों पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया था। आम जनता पर उनका अत्याचार बढ़ता जा रहा था। राजाओं और नवाबों की मान मर्यादा को उन्होंने मिट्टी में मिला दिया था।
कविता में रानी लक्ष्मीबाई के साहस और वीरता का वर्णन किया गया है। वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार थीं। वे अपने सैनिकों को प्रेरित करती थीं और उन्हें अंग्रेजों से लड़ने के लिए प्रोत्साहित करती थीं।
कविता से उस समय के माहौल के बारे में निम्नलिखित बातें पता चलती हैं:
अंग्रेजों का भारत पर अत्याचार
देशवासियों में स्वतंत्रता की भावना का उदय
रानी लक्ष्मीबाई जैसे वीर महिलाओं का उदय
कविता में रानी लक्ष्मीबाई के माध्यम से देशवासियों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया गया है। कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी कि उस समय थी। यह हमें बताती है कि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना कितना महत्वपूर्ण है।
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सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता "झूँसी की रानी" में सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के समय की बात है। उस समय अंग्रेजों ने देश की विभिन्न रियासतों पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया था। आम जनता पर उनका अत्याचार बढ़ता जा रहा था। राजाओं और नवाबों की मान मर्यादा को उन्होंने मिट्टी में मिला दिया था।
कविता में रानी लक्ष्मीबाई के साहस और वीरता का वर्णन किया गया है। वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार थीं। वे अपने सैनिकों को प्रेरित करती थीं और उन्हें अंग्रेजों से लड़ने के लिए प्रोत्साहित करती थीं।
कविता से उस समय के माहौल के बारे में निम्नलिखित बातें पता चलती हैं:
अंग्रेजों का भारत पर अत्याचार
देशवासियों में स्वतंत्रता की भावना का उदय
रानी लक्ष्मीबाई जैसे वीर महिलाओं का उदय
कविता में रानी लक्ष्मीबाई के माध्यम से देशवासियों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया गया है। कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी कि उस समय थी। यह हमें बताती है कि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना कितना महत्वपूर्ण है।